रविवार, 16 जनवरी 2011

**नवउदारवाद , राज्य और काले कानून**


हिन्दुस्तान में अपने हकों के लिए राज्य और कानून के विरुद्ध बात करना देशद्रोह घोषित हो चुका है , जो व्यक्ति / संगठन राज्य और राज्य की नीतियों की हाँ में हाँ नहीं मिलाएगा उसे देशद्रोही करार देकर सलाखों के पीछे डाल दिया जायगा /  बिनायक सैन की गिरफ़्तारी और उम्रकैद से इस बात का संकेत मिल गया है / दरअसल सरकार द्वारा बनाई गई नवउदारवादी नीतियों से उपजे असंतोष को सरकारें खतरा मानकर चल रही हैं और उन नीतियों को लागू करवाने के लिए सरकार द्वारा कुछ कानून बना दिए गए हैं , जो ना सिर्फ बोलने की स्वतंत्रता को छीन रहे हैं बल्कि जीवन को भी छीन रहे हैं /  उत्तर - पूर्व , आदिवासी इलाकों , मिजोरम , मणिपुर , नागालैंड और जम्मू कश्मीर में इन काले कानूनों का क्रूरतम चेहरा दिख रहा है / आदिवासियों को जल , जंगल और जमीन से ना सिर्फ बेदखल किया जा रहा है बल्कि उनके घरों को जबरन आग के हवाले कर दिया जाता है और घरों के बाहर हरदम पैरा मिलिटरी फ़ोर्स लोगों को घरों में नज़रबंद रखती है , महिलाओं से बलात्कार करती है तो सविधान और कानून भी अपाहिज हो जाता है और इसका विरोध करने पर शुरू हो जाता है पुलिस और फौज का जुल्म / तब देश के विरुद्ध युद्ध चलाने का आरोप लगाकर ना सिर्फ देशद्रोही  घोषित कर दिया जाता है बल्कि फौज द्वारा श़क के आधार पर किसी को भी गोलियां से भून दिया जाता है / सशस्त्र सेना विशेष शक्तियां अधिनियम (एएफएसपीए) जिसकी धारा 4 सेना को बिना वारंट तलाशी, गिरफ्तारी और गोली मारने की छूट देती है और किसी भी सैन्य अधिकारी को अपने फैसले को लेकर सजा, मुकदमा या फिर किसी अन्य प्रकार की कानूनी कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ता है। यानी फौज को अपने नागरिकों को गोली मारने का अधिकार हैं। आखिर एएफएसपीए लागू रखने का समर्थन करने वाले चाहते क्या हैं? क्या वह सारी दुनिया को यह दिखाना चाहते हैं कि हम अपने नागरिकों को बन्दूक के दम पर अपने साथ रखते हैं? केवल कश्मीर ही नहीं पूर्वोत्तर में भी यह कानून जुल्म ढा रहा है। जो लोग इस कानून का समर्थन कर रहे हैं वह भविष्य के लिए लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं। सेना सीमा पर तैनाती के लिए होती है न कि नागरिकों के सिर कुचलने के लिए। सेना को नागरिकों की हत्या का अधिकार नहीं सौंपा जा सकता है।ये राज्य और उसके काले कानून का क्रूरतम चेहरा है , जो जनता के आंदोलनों को कुचलने की आज़ादी देता है , जिसकी जड़ हैं मनमोहन , चितंबरम और आहलूवालिए का भूमंडलीयकरण / वो भूमंडलीयकरण जो देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई को गहरा कर रहा है , जो बेरोज़गारी को बढ़ा रहा है , प्राकृतिक संसाधनों की  विदेशी कम्पनियों द्वारा खुली लूट करवाकर बहुराष्ट्रीय निगमों की सेवा में लगा है , भ्रष्टाचार , महंगाई का जन्मदाता है / किसानो की आत्महत्याओं का जिम्मेदार है / शिक्षा , स्वास्थ्य से जनता को दूर कर रहा है / संकीर्णता , नफरत , स्वार्थ , बेचारगी , हिंसा , असंतोष को पैदा करता है ये भूमंडलीयकरण / राज्य और उसे संचालित करने वाली सरकारें समझें या ना समझें ,  हम समझते हैं कि ये मुल्क हमारा है , इस मुल्क के लोग हमारे अपने हैं  , उनके हित हमारे हित हैं / पर देश की सरकार के हित उनसे अलग हैं / क्यूंकि उन्होंने तो विधि द्वारा स्थापित संविधान के प्रति वफ़ादारी की कसम खाई है , लोगों के हितों के प्रति वफादारी की नहीं / तभी तो 1 लाख 76 हजार करोड़ खाने वालों और उनका मौन समर्थन करने वालों की देशभक्ति पर किसी को कोई परन्तु नहीं / अपने हकों के लिए लड़ने वालों पर है / सो एक मजबूत जनांदोलन ही उनके हकों को सुरक्षित कर सकता है /

गुरुवार, 6 जनवरी 2011

बिजली के बिलों में भारी वृद्धि के विरोध में सुचान में बिजली के बिलों का 5 महीनों से बायकाट जारी : बिल भी नहीं भरेंगे , कनेक्शन भी नहीं काटने देंगे

 सुचान में बिजली के बिलों का 5 महीनों से बायकाट जारी ; ग्रामीणों ने बिजली बोर्ड के एस.ई. पर लगाया समझोता तोड़ने का आरोप , कहा  बिल भी नहीं भरेंगे , कनेक्शन भी नहीं काटने देंगे
सिरसा 10 फरवरी  (    ) बिजली के बिलों को ना भरने का मसला एक से दूसरे गाँव में गहराता जा रहा है /  बिजली के बिलों में भारी वृद्धि होने और पूरे गाँव के घरों के बिजली मीटरों को हटाकर नए लगाने , पिछले 6 महीनों की एवरेज के मुताबिक बिलों का भुगतान करने  की मांग को लेकर गाँव सुचान के लोग ना सिर्फ आन्दोलनरत हैं , बल्कि  पिछले 5 महीनों से बिजली के बिलों को नहीं भरा है   / ग्रामीणों  द्वारा ये भी एलान किया गया है कि जब तक पूरे गाँव के घरों के बिजली मीटर नहीं बदले जाते और बिल एक ही दर 2 .63 रूपए प्रति यूनिट की दर से नहीं लिए जाते तब तक बिल्लों का बायकाट जारी  रहेगा / ग्राम पंचायत सुचान और ग्रामीणों द्वारा इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री व बिजलीमंत्री हरियाना को भी पत्र लिखकर मांगें मानने की मांग की गई है /   ग्रामीणों ने जिला प्रशाशन व बिजली विभाग को भी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर विभाग बिजली कनेक्शन काटने आया तो कनेक्शन नहीं काटने दिए जायेंगे / उल्लेखनीय है की गाँव सुचान में बिजली मीटरों के ज्यादा स्पीड में चलने से एंव बिजली के रेट में वृद्धि होने से पिछले चार महीनों से घरों का बिजली बिल 5 हजार से 20 हजार रूपए तक आ रहा है और इसके बारे में जब जिला उपायुक्त और बिजली विभाग के उच्च अधिकारिओं  से मिलने पर भी समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीण पिछले 5  महीनों से बिजली के बिलों का बायकाट कर आन्दोलनरत हैं और कनेक्शन भी ना काटने देने का एलान किया हुआ है / वहीँ कल बिजली बिलों को ना भरने के मुद्दे पर बिजली विभाग के कर्मचारी जब गाँव भावदीन में घरों के बिजली कनेक्शन काटने गए थे तो ग्रामीणों के उनकी पिटाई कर दी थी /  गाँव सुचान की सरपंच रामप्यारी व उनके पति हरिकिशन ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया की पूरे गाँव के लोगों ने 5 महीनों से बिजली का बिल नहीं भरा है और जब तक मांगें  पूरी नहीं होती तब तक बायकाट जारी रहेगा और बिजली के कनेक्शन भी नहीं काटने दिए जायेंगे  /    आल इंडिया स्टुडेंट्स फैडरेशन के छात्र नेता रोशन सुचान ने कहा की एक्स .ई .एन  महोदय द्वारा खुला दरबार भी गाँव में लगाया गया था जिसके बाद एस .ई बिजली बोर्ड से गाँव वालों की  हुई बातचीत  में 2 महीनों में पूरे गाँव के बिजली मीटर बदलने , बढे हुए बिजली बिलों को रद्द कर  पिछले 6 महीनों की एवरिज के मुताबिक बिलों का भुगतान करने का  समझोता भी हुआ था , जिसपर ग्रामीण आज भी कायम हैं , परन्तु बिजली विभाग ने समझोते को तोड़ दिया है / अब अगर बिजली विभाग ने बलपूर्वक कनेक्शन काटने का प्रयास किया तो उसे मुहतोड़ जवाब दिया जायगा  / उन्होने बताया की ग्रामीणों द्वारा आन्दोलन को चलाने के लिया एक 10 सदस्यों की कमेटी का भी गठन किया गया है जिसमे जोगिन्दर सिंह पञ्च , मिलख राज नम्बरदार , रणजीत सिंह  , शाम लाल , राजकुमार सुचान , जगत सिंह , विनोद कुमार आदि शामिल हैं /             जारी कर्ता


रामप्यारी                                                                                            रोशन सुचान
सरपंचसुचान                                                                                     छात्र नेता ए .आई .एस एफ़                     
                                                                                                           

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